किस्से कहानियों से होते हुए हॉलीवुड फिल्मों से निकलकर आखिरकार हम हकीकत में पहुँच गये और हमारी मुलाकात हुई नोवल कोरोना 19 नामक एक नए प्राणी से जो अब से हमारा सहयात्री बन गया.
अपनी मानवीय स्वभावगत आदत से मजबूर हम मानने को तैयार ही नहीं हुए की अब से ये हमारे साथ रहेगा जैसा की हमेशा से हमने किया था की जिससे हम परिचित नही होते उसकी कोई वैल्यू नही करते. वैसे भी ये अतिथि कुछ अलग अंदाज में आया भी था. आते ही उसने अपनी जो छाप छोड़ी की अच्छे-अच्छे नाचते-गाते नजर आने लगे. सारी कलाबाजियां दिनों और हफ्तों में ही भूल गए. धरती से आसमान तक को भेद देने वाले सारे औजार धूल फांकने लगे. और सबसे मजे की बात ये हुई की अबकी बार इस अतिथि ने दोस्ती की शुरुआत भी की तो सीधे हवाओं में परवाज़ करने का भ्रम रखने वाले हवाई जहाजियों से. कही कोई नई प्रैक्टिकल की गुंजाईश ही नहीं छोड़ी.
जितने समय में इन्सान एक बच्चा नहीं पैदा कर पाता, उसके आधे समय में यानी 3 से 4 माह के अन्दर इस नोबल नोवल कोरोना ने ऐसा आतंक मचाया की 57 लाख के लगभग लोग सीधे बिस्तर पर आ गये, 3.5 लाख से ज्यादा लोग दुनिया से विदा हो गए.(आंकडे लगातार बदल रहे है.)
सारी व्यवस्थाएं पानी मांगने लगी, जिन्हें सबसे ज्यादा गुरुर था अपनी अर्थव्यवस्था, मजबूती, सैन्य-ताकत, तकनीकी पर वो सर हाथ पर टिका कर केवल हांफ रही है. सरकारी वादों की जितनी पोल इस समय खुली ऐसा कभी सोचा भी नहीं गया था.
सब की अपनी बातें है, सबके अपने तर्क है. कुछ ने कहा ये जैविक हथियार (बायोलॉजिकल वॉर फेअर) है तो कुछ ने कहा की ये प्रकृति ने मनुष्यों की औकात बताने के लिए किया है. (इस बिंदु पर आगे बात करेंगे.) अभी के लिए केवल इतना की ये अतिथि चाहे जहाँ से आया हो या लाया गया हो, पर इसने मानव सभ्यता की कई परतो को उधेड़ कर रख दिया है.
“कोरोना इफेक्ट” की इस श्रृंखला में हम बात करेंगे की इस अतिथि के आने से हमारी दुनिया में और हमारे जीवन में क्या कुछ बदल जायेगा.
क्रमशः
0 टिप्पणियाँ