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वसुधैव कुटुम्बकम्



बिहारी बॉयफ्रेंड : "तुमलोग खत्री हो और बेसिकली मुल्तान से हो। यहाँ से तो हो नहीं। तुम्हारे तन में सिकन्दर और सेल्यूकस का खून दौड़ रहा है। सच को तुम नकार नहीं सकती।"
पंजाबी गर्लफ्रेंड : "मिश्राजी , तुम पक्का भागलपुर के ही हो ? एकदम कॉन्फिडेंट ?"
बॉयफ्रेंड : "बिलकुल। हमलोग पक्के बिहारी हैं और शतप्रतिशत हिन्दुस्तानी। हमारी रगों में चन्द्रगुप्त मौर्य का खून है।"
गर्लफ्रेंड : "सुनते हैं वह तो शूद्र था और तुम तो मिश्रा हो।"
बॉयफ्रेंड : "सब फैलाई हुई अफवाहें हैं। वह शूद्र था , यह कन्फर्म्ड नहीं है।"
गर्लफ्रेंड : "मगर यह कन्फर्म्ड है कि तुम मिश्रा हो , बिहारी हो और इसलिए असली हिन्दुस्तानी हो ? बेटा , तुम्हारे चन्द्रगुप्त के गुरूजी हमारे यहाँ के थे। और गुरूजी ने पढ़ाई-लिखाई भी हमारे यहाँ तक्षशिला में की थी।"
बॉयफ्रेंड : "तो क्या हुआ ? उससे क्या फर्क पड़ता है। वसुधैव कुटुम्बकम्।"
गर्लफ्रेंड ( मुस्कुराकर उठते हुए ) : "मिश्राजी ऐसा है , तुम डिसाइड कर लो। कि 'जय हिन्द' में ज़्यादा आस्था रखोगे या 'वसुधैव कुटुम्बकम्' में। दोनों नारे साथ नहीं लग सकते। एक चुनना पड़ेगा। तब तक हम बात नहीं करेंगे। सोच कर बताना।"
बॉयफ्रेंड : "अरे ! तुम तो बुरा मान गयी। तुमने दोनों स्लोगंस में से कौन सा चुना है ?"
गर्लफ्रेंड : "जो नारा कोई भी समझदार सुलझा हुआ आज का ग्लोबल सिटिज़न चुनेगा। वसुधैव कुटुम्बकम्। मुझसे रिलेशनशिप रखनी हो तो बता देना। सेल्यूकस की बेटी की तरह ट्रीट करोगे और खुद को चन्द्रगुप्त समझोगे तो नहीं चलेगा। बाकी दुनिया बहुत बड़ी है। दोनों नारों के फॉलोवर्स भरे पड़े हैं।अपने लिए अपने नारे वाली चुन लेना और मैं अपने नारे वाला चुन लूँगी। बाय देन।"
बाॅयफ्रेंड : "रुको तो ।ग्रीक योगर्ट आ रहा है। उसे तो खा लो मेरे साथ।"
गर्लफ्रेंड : " शुक्रिया। मुझे तो ग्रीक योगर्ट और लिट्टी-चोखा , दोनों पसन्द हैं। कुज़ीन तुम्हें चुननी है । टेक योर टाइम।"


-- डॉ. स्कन्द शुक्ल 

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