स्त्रियाँ तीन तरह की होती हैं
"स्त्रियाँ तीन तरह की होती हैं ; कन्या , पुनर्भू और वेश्या ।" पंडितजी चिन्तामणि को समझा रहे थे । "जिसने कभी पुरुष-संसर्ग न किया हो वह कन्या, जिसने एक से किया हो वह पुनर्भू और जिसने एक से ज़्यादा पुरुषों से किया हो वह वेश्या होती है ।"
"यानी पूरी मादा बिरादरी का बँटवारा चमड़ी से भी पतली केवल एक झिल्ली पर । बड़ा ओवरसिंपलिस्टिक क्लासिफिकेशन है । हाउ सिंम्पल एंथ्रोपोमेट्री ! नरों के वर्गीकरण की तरह नस्ल , धर्म , जाति वगैरह की कोई ज़रूरत ही नहीं ।" चिन्तामणि ने जवाब दिया ।
"यौनकर्मों से स्त्री के चरित्र का निर्धारण किया जा सकता है , ऐसा इसलिए है ।"
"मगर सेक्स स्त्री अकेले तो नहीं कर सकती , तो उसी का गुप्तांग-आधारित वर्गीकरण क्यों ? "
"शास्त्रों की जो इच्छा ! उनपर उँगली उठाना अच्छी बात नहीं ।" पंडितजी के स्वर में रुखाई थी ।
" और अगर साइकिल चलाने पर या बास्केटबाल खेलने पर योनि क्षत हो जाए तो ? या किसी का गैंगरेप हो जाए तो?" चिन्तामणि ने पूछा ।
पंडितजी ने किलसकर मौन थामा । उनके शास्त्र लिखने वालों को सदियों पहले नहीं पता था कि आगे जाकर स्त्रियाँ स्पोर्ट्स भी खेलेंगी । और रेप-पीड़िता के लिए कोई चौथी कैटेगरी बनानी उन्होंने आवश्यक नहीं समझी होगी क्योंकि सहवास और रेप में ग्रे सीमारेखा छोड़नी ज़रूरी है ।
चिन्तामणि भी चुप होकर यह सोचने लगा कि हर लड़की के चेहरे में वह योनि कैसे देख पाएगा ? मुखाकृति में गुप्तांग ढूँढ़ पाना , काश यह हुनर उसे भी आता होता !
-- डॉ. स्कन्द शुक्ल
0 टिप्पणियाँ