आओ सिखाएँ तुम्हें अण्डे का फण्डा : भाग 2
मुर्गी का अण्डा हमें पक्षियों के संसार के अद्भुत रहस्य-लोक में ले जाता है !यह बात पुरानी हो चुकी कि पहले मुर्गी हुई कि अण्डा। कभी इस बात पर भी ग़ौर कीजिए कि मुर्गी से अण्डा किस सिरे से बाहर आया और क्यों। और अण्डे के निकलने के इस ढंग को मुर्गी के प्रजनन-तन्त्र की महत्त्वपूर्व जानकारी से जोड़ कर समझिए।
अण्डे चौकोर क्यों न हुए ? चौकोर अण्डे का क्या नुकसान हो सकता है ?
ध्यान से संरचना पर थोड़ा ग़ौर किया जाए तो पता चल जाएगा कि नुकीले चार कोनों वाले चौकोर अण्डों की दीवारें कितनी कमज़ोर होंगी और वे आसानी से टूट जाएँगी। लेकिन फिर एकदम गोल भी तो हुआ जा सकता था।
मुर्गी का अण्डा गोल भी हो सकता था : जैसे उल्लुओं-बाज़ों का होता है। लेकिन मुर्गी ने एक ख़ास नुकीला अण्डाकार अपने अण्डों में विकसित किया। इन्हें बाहर निकालते समय पहले अण्डे का नुकीला सिरा बाहर निकलता है और फिर चौड़ा सिरा बाद में।
इन नुकीले अण्डाकार अण्डों के इस आकार का कोई और फ़ायदा ? कभी मुर्गी के अण्डे को लुढ़का कर देखिए : वह अपने नुकीले सिरे के चारों ओर एक चक्कर लगा कर वहीं रुक जाता है , दूर नहीं जाता। यह एक आकृति से होने वाला बचाव है।
फिर नुकीले अण्डाकार अण्डों को संग रखने में आसानी होती है। अण्डों का परस्पर साथ उन्हें गर्म रखता है और उन्हें ठण्ड से सुरक्षा देता है।
पक्षिजगत् विचित्र है। अपेक्षाकृत छोटी चिड़ियाँ अपनी देह की तुलना में बड़े अण्डे देती हैं और बड़ी चिड़ियों के अण्डे छोटे होते हैं। एक हमिंगबर्ड से उसके अण्डे के आकार की तुलना कीजिए और फिर शुतुरमुर्ग से उसके अण्डे का मिलान करिए !
यह भी सत्य है कि तेज़ और ऊँचा उड़ने वाली चिड़ियों के अण्डे अधिक अण्डाकार व लम्बे होते हैं , ताकि उनमें विकसित होते भ्रूण लम्बे-पतले आकार विकसित कर सकें जो उड़ने में मददगार हों। जितना मज़बूत उड़ाकू , उतना लम्बा अण्डाकार अण्डा !
गोल अण्डों के निर्माण में कम कैल्शियम का ख़र्चा है , उन्हें बनाना किफ़ायती है। सम्भवतः उल्लुओं-बाज़ों ने कैल्शियम की कमी से निपटने के लिए अपने अण्डों को अनजाने इस आकार में ढाल लिया हो।
अण्ड-संसार अद्भुत है ! जीवन के अनगिनत उड्डयन-रहस्य
स्थिर-निष्क्रिय अण्डों को पढ़कर जाने जा सकते हैं !
--- डॉ. स्कन्द शुक्ल
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