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संकल्प

संकल्प


संकल्प -- इस शब्द को आपने भी कई बार पढ़ा होगा, सुना होगा 
मैंने भी बहुत बार पढ़ा है, सुना है, चर्चा की है...

हर तरफ इस शब्द से सम्बंधित सामग्री उपलब्ध है, जब भी कभी सफलता से सम्बंधित कोई भी बात चलती है तो संकल्प को सभी सफलता का मूल तत्व कहा जाता है.
--लेकिन संकल्प क्या है -
-एक प्रक्रिया 
-एक यात्रा
-एक स्थिति 
   या कुछ और . इस पर कोई सर्व मान्य परिभाषा मै प्राप्त नही कर सका. क्या आपको प्राप्त हुई ?
मैंने अपने जीवन में संकल्प का जो अर्थ समझा वो आपसे साझा कर रहा हूँ....

  जब भी आपकी कोई कल्पना इतनी घनीभूत हो जाये की वह आपकी सांसों से संयुक्त हो जाये तो वह आपका संकल्प बन जाती है.

ऐसी कोई भी बात , घटना, या इच्छा जो आपको स्वयं में इतना सराबोर कर ले की आप समय को भूल जाएँ, शोक से परे हो जाएँ - तत्कालीन परिस्थिति को भूल जाएँ , भीड़ में हो या अकेले हर पल वह विचार आपके मन को मथता रहे, ........ तो याद रहे की आप संकल्प की प्रक्रिया में हैं.

अब आपके दो रास्ते है पहला आप उस विचार से बाहर आ जाएँ. ये थोडा सा ही मुश्किल और बहुत आसान है. हमारे चारो तरफ राय देने वालों की भरमार है . किन्ही चार लोंगो से सलाह ले लीजिये और वे आपको ये सिद्ध कर देंगे की आपकी तबियत ठीक नही है किसी अच्छे चिकित्सक से इलाज कराओ. 
दूसरा रास्ता ये है की आप एकांत में बैठे और अपने विचारों पर ध्यान देना शुरू करें. आखिर आप का मन आपसे कहना क्या चाह रहा है? ये प्रकृति आपको क्या सन्देश देना चाह रही है?
जैसे-जैसे आप अपने विचारों को पकड़ते जायेंगे वैसे-वैसे पूरी तस्वीर आपके सामने आती जाएगी. 
आपके सामने आपका लक्ष्य स्पष्ट होता जायेगा. एक बार जब आप अपने लक्ष्य को जानने  लगते है तो धीरे-धीरे विचारों में स्पष्टता आती जाएगी . 
जितना ज्यादा गहराई से आप अपने मन और विचारों पर नजर रखेंगे उतनी जल्दी और स्पष्टता से अपने लक्ष्य को पहचान सकेंगे.  
जैसे ही आप अपने लक्ष्य को पहचान ले तो फिर उसे अपने वर्तमान जीवन, भावी इच्छाओं, सामान्य तौर पर भविष्य आदि को भी सामने रखकर उस पर विचार करे और सभी विचारों की आपसी सामंजस्यता को समझ ले.(हांलाकि ये सभी बातें आपका लक्ष्य स्वयं में ही समेटे रहता है. फिर भी आप थोडा सोचें जरुर.] यही संकल्प प्रक्रिया का दूसरा चरण यानी संकल्प की यात्रा का चरण है.

-----अभी तक आपके मन में संकल्प बीज पैदा हुआ, और आपने उस संकल्प बीज को जाना-पहचाना 

अब आपके पास आपका जीवन लक्ष्य मौजूद है. पूरी तरह स्पष्टता के साथ. 
अब आप अपने जीवन के महासंग्राम के लिए तैयार है. इसे उसी तरह ले. जैसे की एक महान योद्धा अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण युद्ध को लेता है.
अपने आपको मानसिक रूप से तैयार करें. गहराई--गहराई --और गहराई से विचार करें. मन को जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके शांत करें क्योंकि यही मानसिक तैयारी आपकी जीत सुनिश्चित करेगी. संसाधन से सहयोग और अपनी परिस्थिति के बारे में न सोचे. इस तैयारी पर भरपूर ध्यान दें. क्योंकि जैसे ही आप अपने इस जीवन लक्ष्य की घोषणा करेंगे पूरी की पूरी दुनिया , सबसे पहले आपके अपने लोग आपके विरोध में खड़े हो जायेंगे उसके बाद पूरी दुनिया आपका मजाक उड़ाएगी, और एक समय ऐसा भी आएगा जब पूरी की पूरी प्रकृति आपके विपक्ष में हो जाएगी.... वास्तव में इनमे से कोई भी आपका विरोध नही कर रहा होगा बल्कि हर कोई अपने-अपने तरीके से आपकी परीक्षा लेगा. आखिर यही लोग तो कल आपका यशोगान भी गायेंगे तो उनका हक बनता है की वे परीक्षा ले.
इन सारी मुश्किलों, परेशानियों, विपत्तियों और विरोधों के दूसरी तरफ आपको ताकत मिलेगी आपके संकल्प  से . आपका संकल्प लगातार आपको इन सबसे जूझने की शक्ति देगा. 
तो इस चरण में आप अपने आप को जितना ज्यादा मानसिक तौर पर तैयार कर लेंगे ,कल उतना ही मजबूती के साथ आप युद्धभूमि में डटें रहेंगे. 
यही संकल्प का तीसरा चरण यानी संकल्प की स्थिति है . अब कोई भी परिस्थिति आपको आपके लक्ष्य से भटका नही सकती. कोई भी समस्या आपको विचलित नही कर सकती, कितना भी समय लग जाये किन्तु आपकी जीत सुनिश्चित है.क्योंकि आप अपने संकल्प की तरफ बढ़ते समय समय को भूल चुके होंगे. आपको भरपूर आनंद मिलेगा.
.........................................................और एक दिन सारी दुनिया, सम्पूर्ण प्रकृति अपने सम्पूर्ण परम वैभव के साथ आपका सम्मान करेगी. दुनिया की सारी खुशियाँ आपके क़दमों में उड़ेल देगी.
यही संकल्प की ताकत है
यही संकल्प की राह है
और यही संकल्प की परिणति है

तो आप भी लीजिये एक संकल्प और दिखाइए दुनिया को अपने संकल्प की ताकत......

--और वैसे भी एक बार किसी भी तरह से यदि आपके मन में संकल्प का बीज पड़ गया तो पुरे जीवन आपको चैन से बैठने नही देगा. घूम घुमाकर बार-बार आपका वह विचार आपके इर्द-गिर्द रहेगा और आपको मथता रहेगा. 18 अध्याय की गीता में श्री कृष्ण यही बात अर्जुन को लगातार समझा रहे है और इसी की समझ के साथ गीता पूर्ण होती है.
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आपके विचारों और प्रश्नों का स्वागत है.

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