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आप यहाँ क्यों है?



आप यहाँ क्यों है?
हम यहाँ क्यों है?
हम सब यहाँ क्यों है ?
प्रकृति में हर चीज जहाँ है वहां क्यों है?

यह प्रश्न अनादी काल से प्रत्येक व्यक्ति के मन में कभी न कभी आता जरुर है .....केवल आता ही नही बल्कि गूंजता है और कई बार परेशान करने की हद तक गूंजता है..... परिणामतः ...?

ज्यादातर लोग सर झटक कर इस विचार से ही मुक्ति पा लेते  है
कुछ लोग इसे तनाव का नाम देते है
कुछ लोग मनोरंजन नाम की दवा का इस्तेमाल करते है
कुछ लोग इसे ईश्वर की मर्जी मानते है

बहुत कम लोग इस बात को गंभीरता से लेते है , इस बिंदु पर चर्चा करते है और गहराई से जानने का प्रयास करतें है और अपने प्रयास के अनुरूप उन्हें अपने प्रश्न का उत्तर भी प्राप्त होता है.
इन्ही लोंगो में से जिन्हें उत्तर प्राप्त होता है उनका आचार, विचार, व्यवहार सब बदल जाता है और हम उन्हें सफल व्यक्ति के रूप में जानते है और महान व्यक्ति का दर्जा देते है.

तो क्या आपके मन में कभी ये ख्याल आया की आप यहाँ क्यों है?

पूरी प्रकृति में कुछ भी फालतू नहीं है . हर चीज के होने का कारण है ...

क्षान्दोग्योपनिषद के एक सूत्र के मुताबिक-

इस सृष्टि में जितनी वनस्पतियाँ है वो सभी औषधियां है -हमें मालूम हो की न हो
इस श्रृष्टि में जितने नाद है वो सभी मन्त्र है -हमें मालूम हो की न हो
इस सृष्टि में जितना चेतन जगत दिखता है वो सब पंच महाभूत है -हमें मालूम हो की न हो

कभी -कभी आपकी गाड़ी वहीं ख़राब होती है जहाँ बनाने वाला पहले से ही होता है.
आपको प्यास लगती है और तुरंत ही कोई पानी के लिए पूछ लेता है
ठोकर लगने से आप गिरने वाले होते है और कोई संभाल लेता है

कहने का अर्थ है की बिना आपके उम्मीद के आपके लिए सहायता तैयार रहती है . जबकि कभी-कभी आप सहायता की आस में न जाने कितने दरवाजे खटखटाते है लेकिन नाउम्मीदी ही हाथ आती है .

तो क्या आपने कभी सोचा की आप यहाँ क्यों है?
सोचो मित्र ... जरुर सोचो....

क्योंकि जिस भी दिन आप ये जान जाओगे की आप यहाँ  क्यों हो उसी दिन से जीवन में एक महान परिवर्तन हो जायेगा . वो परिवर्तन इतना आश्चर्यजनक होगा की आप हैरान रह जाओगे.....

चूँकि ये प्रश्न बड़ा है और बहुत विराट भी की आप यहाँ क्यों है तो आपका मन एकाग्र नहीं होगा तो इसकी शुरुआत करने का एक सूत्र आपको बताता हूँ जिससे इस प्रश्न का उत्तर तलाशना आपके लिए बहुत आसान हो जायेगा....

जब भी आपको ये प्रश्न याद आये तो तुरंत आप ये देखो की उस समय आप--कौन है?----कहाँ है?----और जहाँ है वहां क्यों है?

1- आप कौन है?-- इस प्रश्न के उत्तर में केवल ये सोचे की आपका नाम क्या है और आप क्या करते है .
2- आप कहाँ है?-- इस प्रश्न के उत्तर में उस जगह का नाम जहाँ आप इस समय मौजूद है.
3- आप वहां क्यों है?-- इस प्रश्न का उत्तर आपके पास ही होगा की आप वहां है तो क्यों.

चूँकि ये प्रश्न आप स्वयं से कर रहे है अतः किसी दुसरे को जवाब देना नही है. तो खुद से तो आप सच ही बोलियेगा.
जैसे ही आप स्वयं को तीसरे प्रश्न का उत्तर दीजियेगा तुरंत ही उस पर एक क्षण के लिए विचार करियेगा की कही आप अपने होने का दुरुपयोग तो नही कर रहे .....

बस यही क्रिया दिन में कई बार करें ... धीरे-धीरे आपके अंदर एक नया दृष्टिकोण पैदा होता जायेगा और आपके प्रश्नोत्तर दिनोदिन गहरे होते जायेंगे.
आपको इस प्रश्नोत्तर में कितना मजा आएगा ये आप स्वयं महसूस करेंगे...

तो शुरुआत कीजिये इस आनंद यात्रा की जो आपके द्वारा और व्यक्तिगत आपके लिए है -- ख़ुशी को महसूस कीजिये और लुटाइए ताकि सारी दुनिया ख़ुश हो सके.....

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आपके मन में यदि कोई प्रश्न है तो हमें लिखिए . हमारा प्रयास होगा कि आपको उचित मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाये...
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1 टिप्पणियाँ

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